मेरा पहला ब्लॉग पोस्ट
यहाँ अमेरिका में आये मुझे आये शायद १२ साल हो गए है.
लम्बे अकेलेपन से गुजरने की वजह से इन्टरनेट पर बहुत वक़्त निकल जाता है, ऐसे ही एक दिन कुछ हिंदी ब्लोग्स पढने को मिले, और मेरी आदत बन गयी हर रोज इन ब्लोग्स को चेक करने की. ऐसे ही एक दिन मन का पाखी ब्लॉग पर कहानी पढ़ी और बस फिर तो हर रोज इंतज़ार होता अगली कड़ी का, और ऐसे ही मैं " रश्मि रविजा जी " की फैन बन गयी और एक दिन हिम्मत करके मैंने उन्हें फसबूक पर friends request भेज दी.
उनका बड़प्पन ही कहूँगी की उन्होंने बिना झिझके कबूल भी कर ली. इसके लिए उनका तहे दिल से धन्यवाद.
आज उनके ही encouragement से मैंने हिम्मत करके यह पोस्ट लिख डाली. ( हाँ इसीको लिखते लिखते शायद ६ महीने हो गए, हाहाहा )
वैसे कोई विषय तो नहीं है मेरे पास, पर हाँ अकेलेपन पर कहीं एक लेख पढ़ा था, की अवसाद की तरह अकेलेपन को भी एक बीमारी का दर्ज़ा दे दिया जाना चाहिए.
लेखिका अकेले रहती है लन्दन में, हाई पेईंग जॉब है, आलीशान फ्लैट है, सब कुछ है, लेकिन अकेली. इतनी अकेली की बस कोई चाहिए उसे जिसे बात कर सके, फिर भले वो कोई भी छोटी मोटी बात हो, इधर उधर की बात. लेकिन कोई जीता जगता इन्सान चाहिए जिससे बात कर सके. इन्टरनेट से जी नहीं भरता, टीवी से जी नहीं भरता, बस काश एक इंसान होता जिससे जी भर के बे सीर पैर की बातें कर सकती, दिल की भड़ास निकाल सकती, या फिर जिसके गले लगकर रो सकती.
ऐसे हे एक दिन उठ कर चल देती है शौपिंग करने, किसलिए? ताकि चेक आउट करते वक़्त काशिएर से ही दो पल को बात कर लेगी. खरीदना कुछ नहीं था, फिर भी गयी ताकि किसीसे दो बोल सुन सके दो बोल कह सके.
क्या मिलता है हमे बे सर पैर की बातें करके, या क्या फरक पड़ता है की कोई हमे सुनने वाला है की नहीं ?
शायद यह एहसास की हम अब भी जिंदा है, और दुनिया हमें सुन सकती है, देख सकती है.
शायद ऐसे हे अकेलेपन की वजह से आज मैंने भी हिम्मत करके यह पहला ब्लॉग लिख ही डाला. क्यूँ ?
कोई मतलब नहीं मेरी बातों में, लेकिन बस शायद मैं भी दिल के कोने में यही आस लिए बैठी हूँ , की रियल वर्ल्ड में तो कोई नहीं मुझे और मेरी बे सीर पैर की बातों को सुनने वाला, लेकिन शायद virtural वर्ल्ड में मुझे मेरे जैसे लोग मिल जाए.
जो मेरी हे तरह अकेले है. अपनों से दूर , शायद अपने घर से दूर.
कोई बेटी ब्याह के बिदेस में अकेली बैठी तरस रही है तीज त्योहारों में अडोस पड़ोस की औरतों को सजधज के पूजा पाठ और हंसी मजाक करते हुए देखने को और उनकी मस्ती में खुद भी शामिल होने को.
कोई शायद अपने शहर या गाँव से दूर किसी बड़े शहर में ऊँची नौकरी बेहतर ज़िन्दगी के सपने लिए संघर्षरत है और ऐसे ही अक्सर बैठे बैठे याद हो आते है गाँव के खेत खलिहान, या नवरात्री में देवी के मंदिर के मेले. या गरबा देखना-खेलना .
कोई बिदेस में बसे बेटे बेटी का घर सम्हालने के चक्कर में अकेलेपन से झूझ रहे है.
और भी हजारों कारन है इंसान के अकेले रहने के.
या फिर हर इंसान ही अकेला है कहीं ?
क्या अपनों के होते हुए भी हम अपने दिल की हर बात हर किसीसे शेयर कर पाते है ?
ऐसी कितनी ही बातें होती है जो शायद हम चाहते हुए भी किसी न किसी कारनवश अपने करीबी को भी नहीं बता पातें.
सच तो यह है की दुनिया में हर कोई अकेला है. हाँ अपने होने को महसूस करने के लिए हमे एक जीते जागते इंसान की जरुरत पड़ती है, जो हमारी बातों को विस्तार दे.
और शायद इसीलिए लोग फेसबुक और ऑरकुट जैसी websites पर घंटो बिता देते है.
खैर उसके बारे में फिर कभी.
पता नहीं क्या क्या लिख गयी आज मैं.
लेकिन अगर आगे मन हुआ तो फिर जरुर लिखूंगी, अपने बारे में, दुनिया के प्रति अपने नजरिये के बारे में.
पहला ब्लॉग है, सो अगर गलतियाँ हो गयी हो तो कमेन्ट जरुर करें. सुधार की कोशिश करुँगी.
पहला ब्लॉग है, सो अगर गलतियाँ हो गयी हो तो कमेन्ट जरुर करें. सुधार की कोशिश करुँगी.
मुझे तो ये जानकार बेहद खुशी हुई की आपने ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया है...
ReplyDeleteऔर अकेलेपन का टॉपिक भी अच्छा है...अकेलेपन को दूर करने के लिए ब्लॉग सही में एक अच्छा जरिया है..ये मैं खुद महसूस कर चूका हूँ...और फेसबुक/ऑरकुट भी एक समय तक मेरे अकेलेपन में बहुत साथ दिया..
पहले तो गोनी {इसका मतलब तुम्हे तो नहीं बताना पड़ेगा :)} भरकर बधाइयां लो. देर आए दुरुस्त आए. मैं इंतज़ार में ही थी...कब बनाती हो तुम ब्लॉग...बड़े दिल से लिखा है...पर ये मेरा जिक्र क्यूँ कर दिया....:( तुम्हारी लिखी दो.चार पंक्तियाँ देखकर ही तुम्हारी लेखन प्रतिभा का आभास हो जाता है...मेरी जगह कोई भी होता तो तुम्हे उत्साहित करता....बस अब गाड़ी पटरी पर आ गयी है...बस तुम्हारा लेखन सरपट तीव्र गति से दौड़ना शुरू कर दे....ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteपर ब्लॉग पर अपना प्रोफाइल तो बनाओ...अपना परिचय लिखो...followers वाला गैजेट लगाओ...हम follow कैसे करेंगे?:)
बहुत ही डूब कर दिल से लिखा है....
"सच तो यह है कि दुनिया में हर कोई अकेला है. हाँ अपने होने को महसूस करने के लिए हमे एक जीते जागते इंसान की जरुरत पड़ती है,"
क्या मिलता है हमे बे सर पैर की बातें करके, या क्या फरक पड़ता है की कोई हमे सुनने वाला है की नहीं ?
शायद यह एहसास की हम अब भी जिंदा है, और दुनिया हमें सुन सकती है, देख सकती है.
ये पंक्तियाँ तो बस सोचने को मजबूर कर गयी....एक महिला ने अपने अनुभव बांटे थे कि वे कभी कभी घर में जोर जोर से बोलने लगती हैं कि कोई आवाज़ तो सुनाई पड़े. ...बहुत ही सोचनीय स्थिति है यह...और विदेशों में ही नहीं....अपने देश में भी ऐसी स्थितियाँ बढती जा रही हैं.
And pls remove this word verification too..(u will hv to go in settings and will hv to remove it)as when i had...everyone used to complain abt it...so wanted to warn u in advance...:)
ReplyDeleteआपका ब्लोगजगत मे स्वागत है………ये ब्लोग ही ऐसी जगह है जहाँ आप अपने मन की बात कह सकती हैं और अपने नये मित्र भी बना सकती हैं…………बस इसी तरह लिखती रहिये जो भी दिल मे आये बिना किसी की परवाह किये कि कोई क्या कह रहा है, कोई सुन रहा है या नही………बस अपने से बात करने का ये सबसे अच्छा ज़रिया है।
ReplyDeletekoi galti nahin... aapka swagat hai... padhkar achchha laga.
ReplyDeleteswaagat hai... aur dil kholker tab tak bolen , likhen jab tak sukun n aa jaye , kuch nahi sochna hai... bahut achha laga milker
ReplyDeleteआईये, स्वागत है...अच्छा किया ब्लॉग लिखना शुरु कर दिया..नियमित लिखिये- फिर अकेलेपन के लिए समय तलाशेंगी...:)
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएँ...
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ! आप अपने अकेलेपन से दुखी है शायद इसलिए कि आप अकेली रहती हैं ! ज़रा उनके बारे में भी सोचिये जो सबके साथ रहते हुए भी नितांत अकेले होते हैं ! अब आपने ब्लॉग बना लिया है अपना तो देखिये कितनी जल्दी कितने सारे दोस्त आपके बन जायेंगे ! हम तो आपको बिलकुल बोर नहीं होने देंगे ! आपका बहुत बहुत स्वागत है ! इसी तरह अपने विचारों से हमें रू-ब-रू कराती रहियेगा ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteस्वागत और शुभकामनायें!
ReplyDeleteआईये, स्वागत है...
ReplyDeleteAbhishekji, Thanks for the comment, kal jab likhna shuru kiya to bina soche likhti chali gayi, shayad dil mein jo bhadaas thi, wahi nikli. Aage dekhte hai kya kya nikalta hai. lol (sorry ab yeh dekhna padega ka Hindi mein comment kaise chapoon). Chalo wo bhi samajh lenge dheere dheer.
ReplyDeleteRashmi di, Apkaa naam ke bina yeh blog he adhura hoga. Warna meri kabhi himmat nahi hoti is tarah net per likhne ki. I am sorry aapse bina puche aapka naam likh diya. Per such mein acha laga yahan dil ki baat rakhna. Himmat mili.Thanks so much for encouraging me to write.
ReplyDeleteSettings ka dekhti hun, yeh abhi bhi kafi confusing hai.
Thanks Vandana di,(can I call you that ?) for your comments. Haan sochte sochte 6 mahine lag gaye, aur jab finally kal raat likhke post kiya, tab dil halka hua. Sach he kehte hai sab, akelepan ka badha acha sahara hai yeh.
ReplyDeleteThanks Deepakji, For the encouragement. I didn't think subah blog kholte he itne sare comment dekhungi. Its really encouraging.
ReplyDeleteRashmiPrabha di, Thanks for the comment. Ab to dimag mein agla kya likhna hai uske bhi vichar banane lage hai. Bahut kuch hai aaspaas jise dekh sun ke dil mien daba diya tha kahin. Lekin ab yakeen ho raha hai ki share kar sakti hoon.
ReplyDeleteUdan Tashtriji, Thanks for the comment.
ReplyDeleteMain us din ka intezar karungi jab main akelepan ke liye samay dundhugi. I can already see this is addicting. lol
Sadhna di, Thanks so much for your comment.
ReplyDeleteWaise to main akele nahi rehti. Husband hai, 8 saal ki beti hai,aur yahan US mein husband ki bahut badi family hai. Haan meri tarafki saari family aur friends India mein hai. Isiliye main bhi unhi bheed mein akele logon mein se he ek hun shayad. kabhi detail mein is bare mein bhi jarur likhungi.
SmartIndianji and Mithileshji, Thanks so much for your comments.
ReplyDeleteAnd welcome everyone to my blog.
Apologise for the settings right now. jaise jaise proficient hoti jaungi, I will update the settings. I am still struggling with this new set up. lol
आपने जिस अपनत्व और दिल से इस पोस्ट को लिखा है हमें पूरी उम्मीद है कि ब्लॉगजगत में शीघ्र ही आपके सैंकड़ों मित्र मिल जाएंगे। और तब देखिएगा कि कितना आनंद आता है इस संसार में।
ReplyDeleteस्वागत और शुभकामनाएं।
Welcome to the world of Blogging .. Hope you achieve what you want ... Keep writing.. All the Best..
ReplyDeleteरीना.सबसे पहले ब्लॉग़ के नाम की बधाई..बेहद खूबसूरत नाम चुना....अब स्वागत है ब्लॉगजगत में...पहली पोस्ट ने ही दिल जीत लिया सबका तो बस शुरु हो जाइए...ढेरों शुभकामनाएँ
ReplyDeleteकोई दिक्कत नहीं जी यहां तो लोग क़यामत की भीड़ में भी अकेले रह जाते हैं फिर आपने तो रश्मि रविजा जी जैसा दोस्त ढूंढ लिया है जो कभी हौसला नहीं खोतीं !
ReplyDeleteमेरे ख्याल से अकेलेपन का एक सकारात्मक पक्ष भी है कि हम सुकून से बाहर की दुनिया का असेसमेंट कर सकते हैं और खुद का भी ! बेहतर फैसलों के लिए इससे बेहतर क्या ?
बहरहाल ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है और आपके अनुभवों का भी स्वागत है !
ब्लॉगजगत में स्वागत है।
ReplyDeleteअली जी ने काफी मार्के की बात कही कि अकेलापन दुनिया को असेस करने का एक बेहतर मौका है। लेकिन जब अकेलापन ज्यादा बढ जाय तो वह भी ठीक नहीं। इसलिये अच्छा है कि ब्लॉग आदि के जरिये इस ब्लॉगरीय मेले से जुडते चलें। लोगों के लेखन उनके विचारों आदि से परिचित होते चलें।
वाह! क्या बात है!!
ReplyDeleteपहली ब्लॉग पोस्ट और लगभग कोई गलती नहीं
और बात अकेलेपन की तो रश्मि जी ने ठीक कहा कि ...अपने देश में भी ऐसी स्थितियाँ बढ़ती जा रही हैं.
खैर हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में स्वागत है आपका
लेकिन ध्यान रखिएगा कि समाज के अन्य कारक भी मौजूद हैं यहाँ, विचलित न होईएगा किसी मोड़ पर
अगले विचार लेख की प्रतीक्षा
अब अकेलापन हो जायेगा छूमंतर क्योंकि अब आ गयी हैं आप हिन्दी ब्लॉग जगत में, स्वागत है हिन्दी ब्लॉगिंग में
ReplyDeleteरीना जी बस इसी प्रकार लिखती रहिये हम सब आपके साथ हैं।
ReplyDeleteThanks Manojji, Koshish karungi aage bhi aise he dil se he likhti rahu, aap sabka ashirwaad chahiye bas :)
ReplyDeleteThanks Minakshiji, Yeh naam bade dino se soch rakha tha, ek tarah se warning thi, ki bhai pasand naa aaye to galiyan na mile, lol.
Thanks Satishji, Yes jyada akelapan bhi theek nahi, and after writing this post I realise blogging is like that friend jise hum man ki baat keh sake.
Thanks Aliji, aapne bilkul sahi kaha, Bahari duniya ko assess karne ka mauka mil jata hai, aur saath he apne man mein jhankne kaa aur khud ko bhi assess karne ka bhi.
Thanks Pabla ji, Yeh to aap sabka badappan aur encouragement he hai ki aapko koi galtiyan nahi dikh rahi, lekin agar ho to batane mein hesitate mat kijiyega. haan likhte waqt thoda dar jarur lagta hai ki kahin bahut jyada personal naa ho jaaye post, I too was worried about negative side of writing, lekin as they say, will cross the bridge when it comes, abhi to aap sabhon ka encouragement acha lag raha hai.
ReplyDeleteThanks Vivekji, for the welcome :)
Thanks Vandanaji for the support :)
जो ब्लॉग के चक्कर में पड गया, वो कभी अकेला नहीं रह/हो सकता है।
ReplyDeleteरश्मि जी की बज शेयरिंग से आया, सुन्दर है...सार्थक सकारात्मक ब्लागरी के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteThanks Sandeepji !
ReplyDeleteThanks Amrendraji !
यह आपका पहला प्रयास है, लेकिन आपकी अभिव्यक्ति को देखकर आपनके अन्दर अनंत सम्भावनाएन दिख रही हैं.. अकेलापन सिर्फ सोचने की बात है.. कोई भीड में भी अकेला होता है!! आशा है आप से हमें कई नियमित एवम बेहतर लेख पढ
ReplyDeleteने को मिलेंगे!!सुस्वागतम!!